महाप्रयाण यात्रा: नीरज/ गोपालदास नीरज/गोपालदास सक्सेना
इंदौर में सबसे पहले अभिनव कला समाज में पिताजी के साथ सुनने का सुअवसर मिला।
हिंदी और उर्दू शब्दों का एक साथ प्रयोग, हिंदी कविता और फ़िल्मी गीत में बराबर सफलता सिर्फ इन्ही को मिली
रफ़ी साहेब का गाना याद कीजिये “स्वपन झरे फूल से, मीत चुभे शूल से
बर्मन दा , शंकर जयकिशन के साथ रफ़ी साब, लताजी और किशोर द्वारा श्रेष्ठ गाने,
रोचक किस्सा:
राजकपूर के कैंप में प्रवेश करना कठिन था, खासकर के संगीत के क्षेत्र में, मेरा नाम जोकर में दो गाने लिखने का अवसर मिल गया
१. कहता है जोकर, सारा जमाना और २. ऐ भाई जरा देख के चलो
कम्पोजीशन के दौरान शंकर जयकिशन ने गाने के बोल में गलतिया निकाल दी, नीरज ने तुरंत कह दिया, “क्या तुम दोनों राज कपूर से ज्यादा संगीत समझते हो….? बस फिर क्या था, नीरज की भविष्य के लिए छुट्टी हो गयी , समय ने करवट बदली , वर्षो बाद शंकर जयकिशन और नीरज ने फिर कन्यादान में साथ काम किया “लिखे जो खत तुझे “
में, अपने जीवन का फलसफा , हिंदी गीतों के शब्दों से लेता हु , उसमे नीरज के गीत भी सम्मिलित है
लताजी :
1. दुःख मेरा दूल्हा है, बिरहा है डोली, आंसू की साडी है, आहों की चोली , आग में पीऊं जैसे हो पानी , ना रे दीवानी हु, पीड़ा की रानी
2. पा लिया तुझे , पाई हर ख़ुशी, चाहुँ बार बार चढ़ु तेरी पालकी, सुबह शाम की ये प्यास बड़े काम की ,जैसे राधा ने माला जपी श्याम की
किशोर दा:
1. रंग में पिघले सोना, अंग से यूँ रस छलके , जैसे बजे धुन कोई , रात में हलके हलके
2. तेरा काजल लेकर रात बनी, तेरी मेहंदी लेकर दिन ऊगा, तेरी बोली सुनकर सुर जगे, तेरी खुशबू लेकर फूल खिला
रफ़ी साब:
1. तुम मिल जाते, तो हो जाती , पूरी अपनी राम कहानी
खंडर ताजमहल बन जाता, गंगाजल आँखों का पानी, सांसों ने हथकड़ी लगाई
2. कोई नगमा कही गूंजा , कहा दिल ने ये तू आयी , कही चटकी कली कोई, में यह समझा तू शरमाई
कोई खुश्बू कहीं बिखरी , लगा ये झुल्फ लहराई
श्रद्धा सुमन